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Trifaladi Asava ( 500ml ) - Delhi
Thursday, 27 January, 2022Item details
City:
Delhi
Offer type:
Sell
Price:
Rs 192
Item description
Trifaladi Asava Benefits:-
आज की इस बदलती जीवन शैली और खाने की चीजों में हो रही मिलावट ने भारत के 100 में से 73 लोगों को पेट संबंधी समस्याओं का शिकार बना दिया है… अपच, गैस, कब्ज या फिर खट्टी डकारें जैसे रोगों से आज हर दूसरा इंसान परेशान है… परंतु इन समस्याओं के रामवाण इलाज के रूप में हमने वर्षों की मेहनत और गहन आयुर्वेदिक अनुसंधान के फलस्वरूप सांख्ययोग का त्रिफलादि आसव विकसित किया है…निशोथ, कुटकी, अमलतास, जवाखार और सौंफ जैसी चमत्कारी औषधियों से युक्त यह रामवाण औषधि पेट संबंधी रोगों को भगाने हेतु सबसे विश्वसनीय औषधि है…
तो आज ही से अपनाएं सांख्ययोग का त्रिफलादि आसव:-
1 पेट के कीड़ो को खत्म करने में त्रिफला खाने से आराम मिलता है. यदि शरीर में रिंगवॉर्म या टेपवॉर्म हो जाते हैं तो भी त्रिफला कारगर है. त्रिफला, शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ावा देता है, जो कि किसी भी संक्रमण से लड़ने में सक्षम होती हैं.
2. त्रिफला, सांस संबंधी रोगों में लाभदायक है और इसका नियमित सेवन करने से सांस लेने में होने वाली असुविधा भी दूर हो जाती है.
3. एक अध्ययन में पता चला है कि त्रिफला से कैंसर का इलाज संभव है और इसमें एंटी-कैंसर तत्व पाए गए हैं.
4. यदि किसी को सिरदर्द की समस्या ज्यादा रहती है तो डॉक्टर की सलाह लेकर त्रिफला का नियमित सेवन करना सिरदर्द को कम करने में मददगार होता है.
5. डायबिटीज के उपचार में त्रिफला बहुत प्रभावी है. यह पेनक्रियाज को उत्तेजित करने में मदद करता है, जिससे इंसुलिन पैदा होता है.
निसोत) का प्रयोग निम्नलिखित बीमारियों, स्थितियों और लक्षणों के उपचार, नियंत्रण, रोकथाम और सुधार के लिए किया जाता है:
वात-रोग
लिूकोडर्मा
कब्ज
जलोदर
गठिया
पीलिया
पाचक संबंधी छाले
घाव
चिंता
बुखार
कुटकी
कुटकी के फायदे हैं लिवर के लिए उपयोगी –
यह जड़ीबूटी लिवर सिरोसिस से राहत के लिए उपयोगी होती है। इसकी रूट के पाउडर को लिवर सिरोसिस के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है।
कुटकी के लाभ करें पीलिया का इलाज
कुटकी सभी आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग की जाने वाली प्रमुख और आवश्यक घटक है जो पीलिया के इलाज के लिए भी उपयोग की जाती है।
कुटकी के गुण हैं कब्ज में सहायक
यह कब्ज की समस्या का इलाज करने में भी बहुत सहायक है। इसके अलावा यह अपच के इलाज के लिए कुटकी बहुत मददगार होती है। यह गैस्ट्रिक रस का स्राव बढ़ाती है। यह भूख में सुधार करती है। यह पेट को मजबूत करके अपच के विभिन्न कार्यों को बढ़ावा देने में मदद करती है।
कुटकी का उपयोग है जलोदर में लाभकारी
जलोदर या पेट में पानी भरने के इलाज के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
कुटकी का लाभ उठाए बुखार के लिए
पित्त कफ असंतुलन की वजह से बुखार में भारीपन, आंतरिक जलन, सिरदर्द आदि महसूस होता है। कुटकी में जीवाणुरोधी और एंटीवायरल गुण होते हैं, जिसके कारण इसे बहुत अधिक प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है।
जवाखार
जवाखार सूजन और कफ को शान्त करता है, पेशाब को जारी रखता है और दस्तों को दूर करता है।
विभिन्न रोगों में उपयोग :
1. मूत्राघात:
2. मलेरिया का बुखार:
3. बुखार:
4. मुंह का रोग:
5. हिचकी का रोग:
6. मक्कल शूल:
7. गुर्दे के रोग:
अमलतास
बुखार
खांसी
गंठिया
दाद
कामला (पीलिया)
रोग में शीघ्र लाभ होता है।
आज की इस बदलती जीवन शैली और खाने की चीजों में हो रही मिलावट ने भारत के 100 में से 73 लोगों को पेट संबंधी समस्याओं का शिकार बना दिया है… अपच, गैस, कब्ज या फिर खट्टी डकारें जैसे रोगों से आज हर दूसरा इंसान परेशान है… परंतु इन समस्याओं के रामवाण इलाज के रूप में हमने वर्षों की मेहनत और गहन आयुर्वेदिक अनुसंधान के फलस्वरूप सांख्ययोग का त्रिफलादि आसव विकसित किया है…निशोथ, कुटकी, अमलतास, जवाखार और सौंफ जैसी चमत्कारी औषधियों से युक्त यह रामवाण औषधि पेट संबंधी रोगों को भगाने हेतु सबसे विश्वसनीय औषधि है…
तो आज ही से अपनाएं सांख्ययोग का त्रिफलादि आसव:-
1 पेट के कीड़ो को खत्म करने में त्रिफला खाने से आराम मिलता है. यदि शरीर में रिंगवॉर्म या टेपवॉर्म हो जाते हैं तो भी त्रिफला कारगर है. त्रिफला, शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ावा देता है, जो कि किसी भी संक्रमण से लड़ने में सक्षम होती हैं.
2. त्रिफला, सांस संबंधी रोगों में लाभदायक है और इसका नियमित सेवन करने से सांस लेने में होने वाली असुविधा भी दूर हो जाती है.
3. एक अध्ययन में पता चला है कि त्रिफला से कैंसर का इलाज संभव है और इसमें एंटी-कैंसर तत्व पाए गए हैं.
4. यदि किसी को सिरदर्द की समस्या ज्यादा रहती है तो डॉक्टर की सलाह लेकर त्रिफला का नियमित सेवन करना सिरदर्द को कम करने में मददगार होता है.
5. डायबिटीज के उपचार में त्रिफला बहुत प्रभावी है. यह पेनक्रियाज को उत्तेजित करने में मदद करता है, जिससे इंसुलिन पैदा होता है.
निसोत) का प्रयोग निम्नलिखित बीमारियों, स्थितियों और लक्षणों के उपचार, नियंत्रण, रोकथाम और सुधार के लिए किया जाता है:
वात-रोग
लिूकोडर्मा
कब्ज
जलोदर
गठिया
पीलिया
पाचक संबंधी छाले
घाव
चिंता
बुखार
कुटकी
कुटकी के फायदे हैं लिवर के लिए उपयोगी –
यह जड़ीबूटी लिवर सिरोसिस से राहत के लिए उपयोगी होती है। इसकी रूट के पाउडर को लिवर सिरोसिस के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है।
कुटकी के लाभ करें पीलिया का इलाज
कुटकी सभी आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग की जाने वाली प्रमुख और आवश्यक घटक है जो पीलिया के इलाज के लिए भी उपयोग की जाती है।
कुटकी के गुण हैं कब्ज में सहायक
यह कब्ज की समस्या का इलाज करने में भी बहुत सहायक है। इसके अलावा यह अपच के इलाज के लिए कुटकी बहुत मददगार होती है। यह गैस्ट्रिक रस का स्राव बढ़ाती है। यह भूख में सुधार करती है। यह पेट को मजबूत करके अपच के विभिन्न कार्यों को बढ़ावा देने में मदद करती है।
कुटकी का उपयोग है जलोदर में लाभकारी
जलोदर या पेट में पानी भरने के इलाज के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
कुटकी का लाभ उठाए बुखार के लिए
पित्त कफ असंतुलन की वजह से बुखार में भारीपन, आंतरिक जलन, सिरदर्द आदि महसूस होता है। कुटकी में जीवाणुरोधी और एंटीवायरल गुण होते हैं, जिसके कारण इसे बहुत अधिक प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है।
जवाखार
जवाखार सूजन और कफ को शान्त करता है, पेशाब को जारी रखता है और दस्तों को दूर करता है।
विभिन्न रोगों में उपयोग :
1. मूत्राघात:
2. मलेरिया का बुखार:
3. बुखार:
4. मुंह का रोग:
5. हिचकी का रोग:
6. मक्कल शूल:
7. गुर्दे के रोग:
अमलतास
बुखार
खांसी
गंठिया
दाद
कामला (पीलिया)
रोग में शीघ्र लाभ होता है।